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एक महत्वपूर्ण विधायी कदम के रूप में, भारत की लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया। इस विधेयक पर 12 घंटे लंबी मैराथन बहस चली, जो 3 अप्रैल 2025 की सुबह तक जारी रही। कुल 520 सांसदों ने मतदान में भाग लिया, जिसमें 288 सांसदों ने समर्थन में और 232 ने विरोध में मतदान किया।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू द्वारा पेश किए गए इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों—जो इस्लामी कानून के तहत धर्मार्थ संपत्तियाँ होती हैं—के प्रबंधन और निगरानी में बड़े बदलाव लाना है।
सरकार का दावा है कि ये संशोधन पारदर्शिता बढ़ाने, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में स्पष्ट किया कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का उद्देश्य सिर्फ प्रशासनिक सुधार करना है, न कि धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप। उन्होंने कहा,
“गैर-मुस्लिम सदस्य यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रशासन कानून के अनुसार काम कर रहा है या नहीं, और दान की गई संपत्ति का सही उपयोग हो रहा है या नहीं।”
विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। वे इसे “भेदभावपूर्ण” और “असंवैधानिक” करार दे रहे हैं।
उनका कहना है कि यह संशोधन वक्फ संस्थानों की स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है और इससे ऐतिहासिक मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। सबसे अधिक आपत्ति उस प्रावधान पर जताई जा रही है, जिसमें वक्फ बोर्डों को संपत्ति के स्वामित्व की सरकारी मान्यता लेने की बाध्यता रखी गई है। आलोचकों का मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों की कानूनी स्थिति पर संकट खड़ा हो सकता है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस विधेयक को “संविधान पर हमला” करार दिया और चेतावनी दी कि “अगर यह कानून लागू हुआ, तो आगे चलकर अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार भी खतरे में पड़ सकते हैं।”
इस विधेयक को लेकर लोकसभा में तेज हंगामा हुआ, जब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक की प्रति फाड़ दी।
अपने भाषण में उन्होंने गुस्से में कहा,
“इस बिल का मकसद मुसलमानों को अपमानित करना है। मैं इसे वैसे ही फाड़ता हूँ, जैसे महात्मा गांधी ने काले कानून को फाड़ा था।”
ओवैसी के इस कृत्य पर सत्ता पक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे संसदीय परंपराओं के खिलाफ बताया।
लोकसभा में पारित होने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
विपक्ष के तीव्र विरोध और राज्यसभा में सरकार की संख्या को देखते हुए एक और बड़ी राजनीतिक लड़ाई होने की संभावना है।
सरकार को राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटाना होगा।
भारत में वक्फ संपत्तियाँ लगभग 4,05,000 हेक्टेयर में फैली हुई हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 14.22 अरब डॉलर (1.18 लाख करोड़ रुपये) है। ये संपत्तियाँ मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और धर्मार्थ कार्यों के लिए इस्तेमाल होती हैं।
इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह सरकार द्वारा उनकी धार्मिक संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास हो सकता है।
विधेयक अब राज्यसभा में चर्चा के लिए जाएगा, जहां इसे लेकर एक और तीखी बहस की संभावना है। इस कानून का वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, मुस्लिम समुदाय के अधिकारों और भारत की धर्मनिरपेक्ष नीतियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना बाकी है।