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पटना, 28 दिसंबर – जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की बड़ी बैठक दिल्ली में 29 दिसंबर को होने वाली है। इस बैठक को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद के नेताओं का दिल्ली में जमावड़ा लगा हुआ है। इस बैठक में क्या होगा, इस पर अभी कुछ साफ नहीं है। चर्चा है कि इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को हटाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। हालांकि ललन सिंह इससे इनकार कर रहे हैं।
नीतीश कुमार पटना एयरपोर्ट पर जदयू की एकजुटता का दावा करते हुए दिल्ली निकले। लेकिन उनके जाते ही जदयू के प्रदेश स्तर के नेताओं की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। यह गुटबाजी भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि लोकसभा सीट का झगड़ा है, जिसपर सार्वजनिक तौर पर कोई बात नहीं हुई है।
जदयू के पास बिहार में 16 लोकसभा सीटें हैं। लोकसभा चुनाव में जदयू की बेहतर प्रदर्शन करने के लिए दोनों गुटों की सीटों को बदलने की मांग कर रहे हैं।
नीतीश कुमार के समर्थक चाहते हैं कि उन्हें बिहार की सभी लोकसभा सीटों पर लड़ने का मौका दिया जाए। इसके लिए वे ललन सिंह के समर्थकों की सीटों को बदलने की मांग कर रहे हैं। वहीं, ललन सिंह के समर्थक चाहते हैं कि वर्तमान सीटों के बंटवारे को बरकरार रखा जाए।
इस गुटबाजी के बीच जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद के सदस्य दिल्ली में बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में जदयू के भविष्य को लेकर फैसला लिया जाएगा।
जदयू के अंदर चल रही गुटबाजी पार्टी के लिए खतरा बन सकती है। अगर इस गुटबाजी को नहीं सुलझाया गया तो यह पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
लोकसभा चुनाव में जदयू को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए दोनों गुटों को एकजुट होना होगा। अगर दोनों गुट एकजुट नहीं हुए तो यह जदयू की हार का कारण बन सकता है।
जदयू की दिल्ली बैठक में नीतीश कुमार को दोनों गुटों को एकजुट करने की चुनौती होगी। अगर नीतीश कुमार इस चुनौती को पार नहीं कर पाए तो यह जदयू के लिए घातक साबित हो सकता है।
नीतीश कुमार को दोनों गुटों के नेताओं से बातचीत कर समझौता करने की कोशिश करनी होगी। अगर नीतीश कुमार दोनों गुटों को एकजुट करने में सफल रहे तो यह जदयू के लिए अच्छी खबर होगी।