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बिहार आर्ट थिएटर द्वारा आयोजित , मंच मुंबई की टीम के द्वारा नाटक पगला घोड़ा की सफल प्रस्तुति हुई, जिसका निर्देशन विजय कुमार ने किया था. सुप्रसिद्ध नाटककार बादल सरकार द्वारा साठ के दशक में लिखा नाटक ‘पगला घोड़ा’, बांग्ला और हिंदी, दोनों भाषाओं में अनेक बार मंचित हो चुका है. पगला घोडा’ को एक मनोवैज्ञानिक कथा की श्रेणी में रखा जा – सकता है. तत्कालीन पुरुष-प्रधान समाज में स्त्री की स्वीकार्यता पुरुष के शतों पर ही हो सकती थी. कमोवेश स्थिति आज भी वही है और इस तथ्य की व्याख्या पगला घोड़ा के कथानक में बखूबी हुआ है. जिसे मंच पर उपस्थित कलाकारों ने अपने अभिनय के माध्यम से और जीवंत कर दिया. जिससे दर्शकों ने नाटक को पूरी तन्मयता के साथ देखा. नाटककार ने नाटक में स्त्री-पुरुष प्रेम की परिणति’ के रूप में अनुवादित कर कथा का सृजन किया है, और शीर्षक दिया है पगला घोडा, ‘पगला घोड़ा’ यहाँ ‘पुरुष के प्रति स्त्री के प्रेम भाव’ का द्योतक जिसकी लगाम स्त्री के है. हाथ में नहीं बल्कि पुरुष के हाथ में हुआ करता है. जो उसे रौंद कर आगे बढ़ जाता है पता पर जलती हुई लड़की की आरपी चिता बार इस कविता का प्रयोग करता है और इसके माध्यम से स्त्री को प्रेम है और यानि पगला घोड़े के रास्ते में न आने की ।
नाटक का मंचन करते कलाकार
चेतावनी देती प्रतीत होती है. कलाकारों का अभिनय और संवाद सहज, रोचक और नाटक में जीवंतता भर देने वाली थी. कलाकारों में मुख्य रूप से कृति गुप्ता, प्रमोद सचान, विश्व भानु, विवेक हरबोला ने अपने अभिनय से दर्शकों पर प्रभाव छोड़ा.
अभिनेता
प्रमोद सचान :सतु
विश्वभानु : कार्तिक
राजीव गुप्ता: शशि
विवेक हर्बोला: हिमाद्री
कीर्ति गुप्ता: लड़की, मुली, मालती, लक्ष्मी
निर्देशक: विजय कुमार ।
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