वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प: रक्षाबंधन पर्व को वृक्षाबंधन के रूप में मनाया गया

बिहार वृक्ष सुरक्षा दिवस के अवसर पर रंगकर्मी उज्जवला गांगुली ने एक विशेष पहल करते हुए पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर रक्षाबंधन पर्व को वृक्षाबंधन के रूप में मनाया। उन्होंने इस अवसर पर वृक्षों की रक्षा का संकल्प लिया और इसके महत्व पर जोर दिया। यह अनोखी पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती है बल्कि हमारे सांस्कृतिक त्योहारों को प्रकृति से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास भी है।

उज्जवला गांगुली, जो एक प्रसिद्ध रंगकर्मी हैं, ने बताया कि महिलाएं सदियों से वृक्षों को धागा बांधकर उनकी पूजा करती आई हैं। चाहे वह आंवला नवमी हो या वट सावित्री व्रत, महिलाएं आंवला और वट वृक्ष की पूजा करती हैं और उनके चारों ओर धागा बांधकर अपने पति के दीर्घायु और प्राण रक्षा के लिए संकल्पित होती हैं। उसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, उज्जवला गांगुली ने रक्षाबंधन के अवसर पर पेड़ों की सुरक्षा का संकल्प लेने की बात कही।उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे ही हमारी सृष्टि का आधार हैं और उनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। पेड़ न केवल हमारे लिए ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि हम महिलाएं रक्षाबंधन पर्व को वृक्षाबंधन के रूप में मनाएं और प्रत्येक पेड़ को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लें, तो पेड़-पौधों की सुरक्षा और देखभाल सही तरीके से हो सकेगी। इससे हमारी प्रकृति और पर्यावरण अधिक स्वच्छ और सुरक्षित हो सकेगा।उज्जवला गांगुली ने इस अनूठी परंपरा को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। पिछले कई वर्षों से वह अपनी सुपुत्री उर्जिता के साथ मिलकर इस पर्व को वृक्षाबंधन के रूप में मना रही हैं। वे प्रत्येक रक्षाबंधन पर अपने घर और आसपास के पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी सुरक्षा के लिए संकल्पित होती हैं। उनका यह कदम समाज के लिए प्रेरणादायक है और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने का एक सफल प्रयास है।

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वृक्षों के प्रति यह संवेदनशीलता और संरक्षण का भाव न केवल पर्यावरण के प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि हमारी सांस्कृतिक परंपराओं और त्योहारों को कैसे प्रकृति के साथ जोड़कर उन्हें और भी अर्थपूर्ण बनाया जा सकता है। उज्जवला गांगुली की इस पहल ने न केवल रक्षाबंधन को एक नए आयाम में प्रस्तुत किया है, बल्कि वृक्षों की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समाज को जागरूक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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