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प्रेम कभी नहीं मरता। बंदूक, तोप की क्या विसात एटम बम भी उसे नहीं मार सकता।
प्रेम हर काल में जीवित रहा और ये हर पीढ़ी के लिए मिशाल बना। रेशमा और चूहरमल आज के समाज में भी जीवित है ।
उसी रेशमा और चूहरमल की कहानी को अपनी दृष्टि से दिखाने की कोशिश नाटक मे की गई। सफल निर्देशन, सधी हुई संगीत की तान और सशक्त अभिनय दिल्ली के सुधी दर्शकों को रोमांचित कर गया। रूप सज्जा और प्रकाश परिकल्पना प्रस्तुति को शानदार बना रहा था। रविवार की शाम दिल्ली के श्री राम सेंटर मे गायन मंडली प्रेम गीतों की तान छेड़ते जब मंच पर उपस्थित होते हैं, तो प्रेम की मधुर धारा में दर्शक विभोर हो जाते हैं।
रेशमा और चूहरमल की प्रेम कहानी समाजिक विरोध के बीच धीरे धीरे परवान चढ़ता है। प्रवीण सांस्कृतिक मंच की ओर से पाँच दिवसीय 21वी प्रवीण स्मृति दिवस के तीसरे दिन नागरदोला नाटक का मंचन किया गया। नाटक के लेखक थे रविन्द्र भारती। निर्देशन किया था वरिष्ठ रंगकर्मी विज्येंद टॉक ने। संगीत निर्देशन देश के प्रख्यात रंगकर्मी संजय उपाध्याय ने दिया था। यह एक संगीतमय प्रस्तुति थी। जिसमे नागरदोला के प्रतीकात्मक महत्व के बीच रेशमा का प्यार चूहरमल के साथ पनपता है। रेशमा की मां ये कतई बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी की एक उच्च घराने की उनकी बेटी निम्न तबके के चूहरमल से दिल लगा बैठी। रेशमा की मां चूहड़मल को मरवाने की साजिश रचती है।
कर्मकांड से लेकर अपने शागिर्दो को पीछे लगवाती है। मगर चूहरमल जमाने की परवाह किए बिना उनसे लड़कर अपनी मुहब्बत को पाने में कामयाब होता है। मंच पर उपस्थित सभी पात्र अपने किरदार के साथ जान्दार प्रस्तुति करते नजर आते हैं। संगीत पक्ष प्रस्तुति को ज्यादा शानदार बनाता है। कई मौकों पर संवाद और संगीत की भी नाटकीय पक्ष को मजबूत करता है। और फिर दर्शक इनके संवादों की मार्मिकता में खो जाते हैं l प्रथम दर्शक के रूप में नाटक के लेखक रविंद्र भारती साथ में सुमन कुमार उप सचिव संगीत नाटक अकादमी,नई दिल्ली दर्शकों के बीच मौजूद थे