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बच्चों ने देखा 400 साल पहले का आसमान, महाभारत काल के भी दिखेंगे
पटना: हमारे जीवन में तारों व ग्रहों का बहुत महत्व है। इनके बारे में जानकारी के अभाव में हम अपने जीवन के कई पहलुओं से वंचित रह जाएंगे। इसके अतिरिक्त खगोल विज्ञान के क्षेत्र में करियर की आपार संभावनाएं हैं। लेकिन, अभी इस क्षेत्र कम कार्य हुए हैं। उक्त बातें टोरंटो विश्वविद्यालय, कनाडा में एस्ट्रोफिजिक्स की शोधार्थी ईशा दास गुप्ता ने कहीं। वे रविवार को नाइन टू नाइन हॉल में आयोजित व्याख्यान सह प्रदर्शनी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थीं। विषय था— हमारे आंगन के तारे।


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ईशा दास गुप्ता ने पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि धरती से देखने में सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर जाता प्रतीत होता है, उस दिशा को सूर्य पथ कहते हैं। इसी प्रकार चंद्र पथ भी होता है, जो चंद्रमा की गति को दर्शाता है। आर्यभट ने सूर्य पथ व चंद्रपथ के आधार पर ग्रहण की सटीक गणना की थी, जो आज भी प्रामाणिक है।


चंद्रमा 27 दिनों में पृथ्वी के चक्कर लगाता है। इस दौरान व 27 विभिन्न तारों के पास से गुजरता है। जब चंद्रमा जिस तारे के पास रहता है, उस एक—डेढ़ दिन के दौरान उस विशेष तारे के नाम पर नक्षत्र होता है। चंद्रमा की गति के कारण ही पक्ष, मास वर्ष होते हैं। वहीं, सूर्य के अनुसार बारह राशि होते हैं। उन्होंने सॉफ्टवेयर के माध्यम से 400 वर्ष पहले का नालंदा के ऊपर का आसमान दिखाया। उन्होंने बताया कि इस प्रकार से महाभारत काल के समय कुरुक्षेत्र का आसमान भी देख सकते हैं।उन्होंने बताया कि आर्यभट, लाटदेव, वराहमिहिर, भास्कर—2, ब्रह्मगुप्त जैसे विद्वानों ने विभिन्न कालखंडों में खागोल विज्ञान के बारे में कई महत्वपूर्ण अध्ययन किए और पश्चिम के खागोलशास्त्रियों जैसे पौलिष, अलकिंदी, अलजरकाली, क्रेमोना जेरार्ड आदि के साथ संवाद भी करते रहे। व्याख्यान के बाद प्रश्नोत्तर सत्र में बच्चों ने कई दिलचस्प सवाल किए। जैसे कि चार अरब साल बाद जब सूर्य खत्म हो जाएगा, उस समय पृथ्वी की क्या स्थिति रहेगी? सूर्य का आकार बढ़ने के बाद बृहस्पति के गैस का क्या होगा? इन सवालों का ईशा ने जवाब दिए।

ईशा दास गुप्ता के व्याख्यान के बाद चार डेमोंस्ट्रेशन सत्र हुए। ग्रहण का प्रदर्शन ऋषिका द्वारा, सूरज राशियों में क्यूँ दिखता है? का प्रदर्शन प्रियंका दास द्वारा, अलग अलग ज़मानों के आसमानों की तुलना देवाशीष बराट द्वारा तथा टेलिस्कोप से खिंची गई आसमान की तस्वीरें का प्रदर्शन एस्ट्रोफोटोग्राफर प्रशांत रवि द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि आम धारणा है कि एस्ट्रोफोटोग्राफी एक महंगा उपक्रम है, जबकि आज के डिजिटल युग में तीन हजार के टेलीस्कोप और अपने स्मार्टफोन में कुछ एक्सेसरिज जोड़कर खागोलीय दुनिया को कैमरे में कैद किया जा सकता है।
चांद-तारों का हमारे जीवन में महत्व : ईशा दास गुप्ता


इस अवसर पर प्रो. जय देव, गौतम दासगुप्ता, फिल्मकार रीतेश परमार, प्रशांत रंजन, राजीव कुमार, गुणानंद सदा समेत कई शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे।
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